प्रभु यीशु ने कहा, "जैसा पिता ने मुझसे प्रेम रखा, वैसे ही मैंने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो" (यूहन्ना 15:9)। परमेश्वर प्रेम है, तो परमेश्वर हमसे कैसे प्रेम करता है और हमें उससे कैसे प्रेम करना चाहिए? भाई-बहन को एक-दूसरे से कैसे प्यार करना चाहिए? प्यार के बारे में बाइबल की ये आयतें हमें परमेश्वर के प्यार को जानने और परमेश्वर के लिए सच्चा प्यार हासिल करने का रास्ता दिखाती हैं। इसे पढ़ना न भूलें।
प्रेम के बारे में बाइबल की आयतें: परमेश्वर के प्रेम को जानना
"क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए" (यूहन्ना 3:16)।
"जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इससे प्रगट हुआ कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है कि हम उसके द्वारा जीवन पाएँ। प्रेम इसमें नहीं कि हमने परमेश्वर से प्रेम किया पर इसमें है, कि उसने हम से प्रेम किया और हमारे पापों के प्रायश्चित के लिये अपने पुत्र को भेजा" (1 यूहन्ना 4:9-10)।
"और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए, और हमें उस पर विश्वास है। परमेश्वर प्रेम है; जो प्रेम में बना रहता है वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उसमें बना रहता है। इसी से प्रेम हम में सिद्ध हुआ, कि हमें न्याय के दिन साहस हो; क्योंकि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी हैं। प्रेम में भय नहीं होता*, वरन् सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय का सम्बन्ध दण्ड से होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ। हम इसलिए प्रेम करते हैं, क्योंकि पहले उसने हम से प्रेम किया" (1 यूहन्ना 4:16-19)।
"परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा" (रोमियों 5:8)।
हमें परमेश्वर से कैसे प्रेम करना चाहिए?
परमेश्वर हमसे प्यार करता है और उसने हमें बचाया है, इसलिए हमें परमेश्वर से प्यार करना चाहिए। यह विवेक और कारण है, जो हमारे पास होना चाहिए। तो हमें ईश्वर की इच्छा के अनुसार परमेश्वर से कैसे प्रेम करना चाहिए?
"और जो मुझसे प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं उन हजारों पर करुणा किया करता हूँ" (व्यवस्थाविवरण 5:10)।
"यीशु ने उसको उत्तर दिया, 'यदि कोई मुझसे प्रेम रखे, तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उससे प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएँगे, और उसके साथ वास करेंगे'" (यूहन्ना 14:23)।
"जिसके पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझसे प्रेम रखता है, और जो मुझसे प्रेम रखता है, उससे मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उससे प्रेम रखूँगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूँगा" (यूहन्ना 14:21)।
"उसने उससे कहा, 'तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख' (मत्ती 22:37-39)।
"यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और बच्चों और भाइयों और बहनों वरन् अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता" (लूका 14:26)।
इन चार बातों को समझने से, परमेश्वर के साथ हमारा रिश्ता और भी क़रीबी हो जाएगा
भाइयों और बहनों को एक-दूसरे से प्यार करना चाहिए
प्रभु यीशु ने कहा, "कि जैसा मैंने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो" (यूहन्ना 15:12)। परमेश्वर हमसे प्यार करता है, इसलिए हमें भी भाइयों और बहनों से प्यार करना चाहिए। यह परमेश्वर की आज्ञा है और हमारे प्यारे परमेश्वर की वास्तविक अभिव्यक्तियों में से एक है। तो हमें भाइयों और बहनों से कैसे प्यार करना चाहिए?
"मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूँ, कि एक दूसरे से प्रेम रखो जैसा मैंने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो" (यूहन्ना 13:34-35)।
"हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है और परमेश्वर को जानता है" (1 यूहन्ना 4:7)।
"अतः जब कि तुम ने भाईचारे के निष्कपट प्रेम के निमित्त सत्य के मानने से अपने मनों को पवित्र किया है, तो तन-मन लगाकर एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो" (1 पतरस 1:22)।
"हे मेरे प्रिय बालकों, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें" (1 यूहन्ना 3:18)।
"परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा*; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध होता है" (1 यूहन्ना 4:12)।
परमेश्वर कहते हैं: "केवल सृष्टिकर्ता ही इस मानवजाति के ऊपर दया करता है। केवल सृष्टिकर्ता ही इस मानवजाति को कोमलता और स्नेह दिखाता है। केवल सृष्टिकर्ता ही इस मानवजाति के लिए सच्चा और अटूट प्रेम रखता है। उसी प्रकार, केवल सृष्टिकर्ता ही इस मानवजाति पर दया कर सकता है और अपनी सम्पूर्ण सृष्टि को संजो सकता है। उसका हृदय मनुष्य के हर एक कार्यों से खुशी से उछलता और दुखित होता है: वह मनुष्य की दुष्टता और भ्रष्टता के ऊपर क्रोधित, परेशान और दुखित होता है; वह मनुष्य के पश्चाताप और विश्वास के लिए प्रसन्न, आनंदित, क्षमाशील और प्रफुल्लित होता है; उसका हर एक विचार और अभिप्राय मानवजाति के लिए अस्तित्व में है और उसके चारों ओर परिक्रमा करता है; उसका स्वरूप पूरी तरह से मानवजाति के वास्ते प्रकट किया जाता है; उसकी भावनाओं की सम्पूर्णता मानवजाति के अस्तित्व के साथ आपस में गुथी हुई है। मनुष्य के वास्ते, वह भ्रमण करता है और यहां वहां भागता है, वह खामोशी से अपने जीवन का हर अंश दे देता है; वह अपने जीवन का हर मिनट और क्षण समर्पित कर देता है…। उसने कभी नहीं जाना कि स्वयं अपने जीवन पर किस प्रकार दया करनी है, फ़िर भी उसने हमेशा से उस मानवजाति पर दया की है और उसे संजोया है जिसे उसने स्वयं सृजा था…। वह सब कुछ देता है जिसे उसे इस मानवजाति को देना है…। वह बिना किसी शर्त के और बिना किसी प्रतिफल की अपेक्षा के अपनी दया और सहनशीलता प्रदान करता है। वह ऐसा सिर्फ इसलिए करता है कि मानवजाति उसकी नज़रों के सामने निरन्तर जीवित रहे, और जीवन के उसके प्रावधान प्राप्त करती रहे; वह ऐसा सिर्फ इसलिए करता है कि मानवजाति एक दिन उसके सम्मुख समर्पित हो जाए और यह पहचान जाए कि यह वही परमेश्वर है जो मुनष्य के अस्तित्व का पालन पोषण करता है और समूची सृष्टि के जीवन की आपूर्ति करता है।"
"सर्वशक्तिमान ने गहराई से पीड़ित इन लोगों पर दया की है; साथ ही, वह उन लोगों से तंग आ गया है, जिनमें चेतना की कमी है, क्योंकि उसे मनुष्य से जवाब पाने के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ा है। वह तुम्हारे हृदय की, तुम्हारी आत्मा की तलाश करना चाहता है, तुम्हें पानी और भोजन देना और तुम्हें जगाना चाहता है, ताकि अब तुम भूखे और प्यासे न रहो। जब तुम थके हुए होते हो और जब तुम्हें इस दुनिया की बेरंग उजाड़ता का कुछ अहसास होने लगता है, तो हारो मत, रोओ मत। द्रष्टा, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, किसी भी समय तुम्हारे आगमन को गले लगा लेगा।"
"परमेश्वर का प्रेम झरने के जल के समान फैलता है, और तुम्हें, मुझे, उसे और उन सब को दिया जाता है जो वास्तव में सत्य को खोजते और परमेश्वर के प्रकटन की प्रतीक्षा करते हैं।"
स्रोत: यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए
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