आध्यात्मिक प्रश्नोत्तर के भाई-बहनों को नमस्कार,
मेरी शादी को बीस साल हो गए हैं। मुझे लगा कि मैं और मेरे पति एक दूसरे को समर्पित हैं। लेकिन अप्रत्याशित रूप से, मेरे पति ने विवाहेत्तर संबंध बना लिए। मैं बहुत परेशान हूँ और यह नहीं जानती कि इसका सामना कैसे करूं। मैं पूछना चाहती हूँ: वैवाहिक स्नेह इतना नाजुक क्यों होता है? मैं इस पीड़ा से कैसे बच सकती हूँ?
आपकी
मोयान
नमस्कार बहन मोयान,
आपके संदेश को देखकर, मैं समझ सकती हूँ कि आप इस वक्त कैसा महसूस कर रही हैं क्योंकि मेरे साथ भी वही हुआ है जो आपके साथ हुआ। उन अंधेरे दिनों में, यदि परमेश्वर के वचनों का मार्गदर्शन साथ नहीं होता, तो मुझे नहीं समझ आता कि आगे कैसे बढ़ना है। परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन ने मुझे यह समझने में मदद की कि वैवाहिक स्नेह इतना नाजुक क्यों होता है, और मुझे मानवीय पीड़ा की जड़ को जानने भी दिया। धीरे-धीरे, मैं अपने पति के विश्वासघात की छाया से निकल गई।
मेरे पति और मैं बचपन से ही एक-दूसरे को पसंद करते थे, हमारी कई रुचियाँ एक जैसी थीं और एक-दूसरे से कहने के लिए अंतहीन बातें थीं। मेरा परिवार, मेरे उससे शादी करने के खिलाफ था, लेकिन हमने सभी बाधाओं को पार किया और साथ रहे। हमारी शादी के बाद मेरे पति मेरे प्रति बहुत विचारशील थे, मुझ पर ध्यान देते थे। मुझे लगा कि हमारे बीच गहरा प्रेम है, इसलिए हम हमेशा खुश रहेंगे। लेकिन तभी वास्तविकता ने मुझ पर एक घातक वार किया…
मेरे पति अधिक पैसा कमाने लगे और ज़्यादा लोगों के संपर्क में आ गए, लेकिन इस कारण उनके आस-पास मतलबी दोस्त भी इकट्ठे होने लगे। एक दिन, मैंने गलती से उनका वीचैट खोल दिया और मुझे एक संदेश दिखा। इसमें, उन्होंने वास्तव में एक अन्य महिला को "प्रियतमा" कहा था। उस वक्त मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। मैं बुरी तरह से कांप रही थी। उन्होंने जीवन भर मुझसे प्यार करने की कसम खाई थी—वे किसी दूसरी महिला के साथ इस तरह प्रेमपूर्ण बातें कैसे कर सकते थे? हम इतने सालों से एक साथ थे—वे मुझे कैसे धोखा दे सकते थे? मेरे पूछताछ करने पर, उन्होंने यह स्वीकारते हुए कि उनका सच में एक नाजायज़ संबंध था, लापरवाही से कहा कि यह कोई बड़ी बात नहीं थी और उनके कई सहयोगियों के नाजायज़ संबंध थे।
उस क्षण, ऐसा लगा कि आसमान मुझ पर टूट पड़ा है। गुस्सा, शर्म और बेबसी सब मेरे दिमाग में भर गया। मैं अपने दिल के दर्द को रोक न पायी, और दहाड़े मारकर रोने लगी।
मेरे पति द्वारा विश्वासघात स्वीकार करने के बाद, मुझे लगा कि अब कुछ भी मायने नहीं रखता। मैंने खुद को सभी से दूर कर लिया और पूरे एक हफ्ते तक एक शब्द भी नहीं कहा। जैसे ही मैं अपने पति के विश्वासघात के बारे में सोचती, आँसू ऐसे बहने लगते थे जैसे खुली नहर का पानी। मैं उनसे बदला लेने के लिए उनका सारा पैसा खर्च कर देना चाहती थी, इसलिए मैंने कपड़े, जूते आदि खरीदने शुरू किए, खाने के लिए बाहर जाने लगी… लेकिन, हर बार मै उनके पैसे खर्च देने के बाद, मेरी परेशानी कम नहीं होती थी। केवल दो सप्ताह के दरम्यान, मेरा वजन 8.5 किग्रा घट गया।
पीड़ा और बेबसी में, मैंने परमेश्वर के वचनों को पढ़ा, जो कहते हैं: "एक के बाद एक, ये सभी प्रवृत्तियाँ दुष्ट प्रभाव को लेकर चलती हैं जो निरन्तर मनुष्य को पतित करते रहते हैं, जिसके कारण वे लगातार विवेक, मानवता और कारण को गँवा देते हैं, और जो उनकी नैतिकता एवं उनके चरित्र की गुणवत्ता को और भी अधिक नीचे ले जाते हैं, उस हद तक कि हम यहाँ तक कह सकते हैं कि अब अधिकांश लोगों के पास कोई ईमानदारी नहीं है, कोई मानवता नहीं है, न ही उनके पास कोई विवेक है, और कोई तर्क तो बिलकुल भी नहीं है। तो ये प्रवृत्तियाँ क्या हैं? तुम नग्न आँखों से इन प्रवृत्तियों को नहीं देख सकते हो। जब किसी प्रवृत्ति की हवा आर-पार बहती है, तो कदाचित् सिर्फ छोटी सी संख्या में ही लोग प्रवृत्ति स्थापित करने वाले बनेंगे। वे इस किस्म की चीज़ों को करते हुए शुरुआत करते हैं, इस किस्म के विचार या इस किस्म के दृष्टिकोण को स्वीकार करते हैं। हालाँकि, अधिकांश लोग अपनी अनभिज्ञता के बीच इस किस्म की प्रवृत्ति के द्वारा अभी भी लगातार संक्रमित, सम्मिलित एवं आकर्षित होंगे, जब तक वे सब अनजाने में एवं अनिच्छा से इसे स्वीकार नहीं कर लेते हैं, और सभी इसमें डूब नहीं जाते हैं और इसके द्वारा नियन्त्रित नहीं कर लिए जाते हैं। ऐसे मनुष्यों के लिए जो स्वस्थ्य शरीर और मन के नहीं है, जो कभी नहीं जानते हैं कि सत्य क्या है, जो सकारात्मक एवं नकारात्मक चीज़ों के बीच अन्तर नहीं बता सकते हैं, इन किस्मों की प्रवृत्तियाँ एक के बाद एक उन सभी से स्वेच्छा से इन प्रवृत्तियों, जीवन के दृष्टिकोण एवं मूल्यों को स्वीकार करवाती हैं जो शैतान से आती हैं। जो कुछ शैतान उनसे कहता है वे उसे स्वीकार करते हैं कि किस प्रकार जीवन तक पहुँचना है और जीवन जीने के उस तरीके को स्वीकार करते हैं जो शैतान उन्हें 'प्रदान' करता है। उनमें सामर्थ्य नहीं है, न ही उनमें योग्यता है, प्रतिरोध करने की जागरूकता तो बिलकुल भी नहीं है।"
परमेश्वर के वचनों से मैं समझ गयी कि हम इतने दर्द में इसलिए रहते हैं क्योंकि हमने शैतान की बुरी प्रवृत्तियों को स्वीकार कर लिया है। आजकल सार्वजनिक नैतिकता दिन-प्रतिदिन गिर रही है; अश्लील साहित्य हर जगह फैला हुआ है; और सभी प्रकार के गलत विचार चारों ओर बिखरे हुए हैं, जैसे "एक घरवाली रखो, और एक बाहरवाली," और "हर दिन आनंद करो, क्योंकि ज़िन्दगी बहुत छोटी है।" ये विचार जीवन के प्रति लोगों के दृष्टिकोण और उनके प्यार के विचार को विकृत कर चुके हैं। लोग इन बुरी प्रवृत्तियों का पीछा करते हैं, और वे विवाहेत्तर संबंध बनाना और दूसरी औरत रखने को शर्म की जड़ के बजाय सक्षम होने की अभिव्यक्ति के रूप में देखते हैं। इतने सारे परिवार टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं, इतने सारे जोड़े प्यार और नफरत के बीच झूलते रहते हैं और खुद को इससे निकाल नहीं पाते हैं। मेरे पति ने मुझे धोखा दिया क्योंकि वे इस तरह के विचार को स्वीकार कर चुके थे। जब उन्होंने अपने आस-पास के लोगों को नाजायज़ संबंध बनाते देखा, तो उन्होंने भी वैसा ही किया। न केवल उन्हें इसका पछतावा नहीं है, बल्कि उन्हें लगता है कि यह बहुत सामान्य है। शैतानी विचारों से दूषित होकर हमने अपनी नैतिकता खो दी है और पारस्परिक स्नेह बहुत नाजुक हो गया है।
चूँकि मैंने भी कुछ शैतानी विचारों जैसे कि: "जीवन अनमोल है, लेकिन प्रेम अधिक मूल्यवान है," "किसी का हाथ पकड़ बुढ़ापे तक साथ देना," को स्वीकार किया था, मैं प्यार को अपनी खुशी का मुख्य मानदंड और वो एकमात्र चीज़ मानती थी जो मेरे जीवन को जीने लायक बनाता है। मैं मानती थी कि केवल जब किसी के पास मधुर प्रेम हो तभी उसका जीवन मूल्यवान और सार्थक होगा। इसलिए, मेरे पति के विश्वासघात के सामने, यह देखते हुए कि मेरी शादी, जिसके प्रबन्धन में मैंने अपने जीवन को समर्पित कर दिया था, किसी लायक न रही तो मैं निराशा में चली गयी और पूरे दिन भ्रम की स्थिति में रहती थी। मैं एक जीती-जागती लाश की तरह थी। शैतान के दर्शन के अनुसार जीने का यह परिणाम हुआ था, और इससे भी महत्वपूर्ण बात है, शैतान द्वारा मुझे पहुँचाया गया नुकसान। उत्तरजीविता के इन शैतानी नियमों के बारे में कोई सत्य, कोई समझ न होने से हम इंसान दर्द में जीने और शैतान की इच्छानुसार रौंदे जाने से नहीं बच सकते हैं।
बाद में, मैं परमेश्वर के इन वचनों को देखा, "क्योंकि परमेश्वर का सार पवित्र है; इसका अर्थ है कि केवल परमेश्वर के माध्यम से ही तुम जीवन के आरपार उज्जवल, और सही मार्ग पर चल सकते हो; केवल परमेश्वर के माध्यम से ही तुम जीवन के अर्थ को जान सकते हो, केवल परमेश्वर के माध्यम से ही तुम वास्तविक जीवन जी सकते हो, सत्य को धारण कर सकते हो, सत्य को जान सकते हो, और केवल परमेश्वर के माध्यम से ही तुम सत्य से जीवन को प्राप्त कर सकते हो। केवल स्वयं परमेश्वर ही तुम्हें बुराई से दूर रहने में सहायता कर सकता है और तुम्हें शैतान की क्षति और नियन्त्रण से मुक्त कर सकता है। परमेश्वर के अलावा, कोई भी व्यक्ति और कोई भी चीज़ तुम्हें कष्ट के सागर से नहीं बचा सकती है ताकि तुम अब और कष्ट नहीं सहो: यह परमेश्वर के सार के द्वारा निर्धारित किया जाता है।"
परमेश्वर के वचनों से, मैं समझ गयी कि परमेश्वर ही सत्य, मार्ग और जीवन हैं। केवल परमेश्वर ही हमें शैतान के प्रभाव से बचा सकते हैं। परमेश्वर को उम्मीद है कि हममें से हर एक खुशी से रह सकता है, उसकी आराधना कर सकता है, और उसके वचनों को सुन सकता है जबकि शैतान—जो लोगों को मज़े के लिए भ्रष्ट और प्रताड़ित करता है—चाहता है कि हम दर्द में जियें। केवल जब हम सत्य का अनुसरण करते हैं, इसे जीवन के रूप में प्राप्त करते हैं, तभी हम शैतान द्वारा मूर्ख बनाए जाने से बच सकते हैं और खुद को दर्द से मुक्त कर सकते हैं। मैंने इस तथ्य पर विचार किया कि चूँकि मुझे इस बात की समझ नहीं थी कि शैतान, मानवजाति को भ्रष्ट करने के लिए कौन से साधनों का उपयोग करता है, मैं अपने पति के विश्वासघात की छाया में जी रही थी, अतीत के कैद में थी और खुद को यातना देती थी। मेरे जीवन के उस दौर ने मेरे टुकड़े-टुकड़े कर दिए। लेकिन परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन में, मैंने स्पष्ट रूप से देखा कि इन बुरी प्रवृत्तियों से लोगों को क्या कष्ट हुए थे। मुझे ये भी महसूस हुआ कि मैं और मेरे पति, दोनों शैतान की बुरी प्रवृत्तियों का शिकार थे। इस तरह, धीरे-धीरे मैं अपने पति के विश्वासघात की छाया से निकल गई।
बाद में, मैं कलीसिया में सक्रिय रूप से अपने कर्तव्यों का पालन करने लगी और अब एक समृद्ध जीवन जी रही हूँ।
बहन मोयान, मुझे नहीं पता कि मेरा अनुभव आपको आपके दर्द से बाहर निकालने में मदद कर पायेगा या नहीं, लेकिन मुझे आशा है कि अब आप परमेश्वर के वचनों से स्पष्ट रूप से मानवजाति को दूषित करने वाली इन बुरी प्रवृत्तियों के परिणामों को देख सकती हैं। शैतान की चाल में कभी न फंसें, और परमेश्वर के वचनों के अनुसार जियें। परमेश्वर आप पर कृपा करें!
आपकी,
आध्यात्मिक प्रश्नोत्तर
स्रोत:यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए
जब हमें तकलीफें होती हैं, तो हम आसानी से परमेश्वर पर विश्वास खो देते हैं और कमजोर और दर्द महसूस करते हैं, फिर विश्वास क्या है? हम परमेश्वर पर सच्चा विश्वास कैसे रख सकते हैं? लेख पढ़ें जो आपको परमेश्वर में सच्चा विश्वास विकसित करने में मदद करता है!
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