राजा दाऊद की कहानी: राजा दाऊद किस प्रकार परमेश्वर के हृदय के अनुसार था

    जब भी राजा दाऊद का जिक्र होता है, मेरे दिमाग में उसके किशोरावस्था की छवि उभरती है, जब उसने यहोवा की ताकत पर भरोसा करते हुए, गुलेल का इस्तेमाल कर एक पत्थर के साथ विशाल गोलियत को मार गिराया था। बाद में, वह युद्ध पर गया, कई लड़ाइयाँ जीती और कई वीरता के कर्म किए। हालाँकि, बाइबल में यह भी दर्ज है कि जब दाऊद इस्राएल का राजा बना, तब उसने ऊरिय्याह को मरवा दिया और फिर उसकी पत्नी बतशेबा को अपने साथ ले गया। इसलिए, परमेश्वर का धर्मी स्वभाव दाऊद पर आया और पैगंबर नातान के माध्यम से, परमेश्वर ने उससे यह कहते हुए बात की, "इसलिये अब तलवार तेरे घर से कभी दूर न होगी, क्योंकि तू ने मुझे तुच्छ जानकर हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी को अपनी पत्नी कर लिया है" (2 शमूएल 12:10)। राजा दाऊद ने पाप किया और परमेश्वर ने उसे दंड दिया। तो इसके बाद परमेश्वर दाऊद से खुश क्यों हुआ और उसने यह क्यों कहा कि दाऊद उसके हृदय के अनुसार है? मैं इसके कारण बहुत भ्रमित महसूस कर रहा था। इसे समझ पाने के लिए, मैंने कई बार परमेश्वर से प्रार्थना की और खोज की, और मुझे बाइबल में बहुत से पद मिले। अपने भाई-बहनों के साथ तलाशने और संगति करने के बाद, मुझे आखिरकार इसका जवाब मिल गया।

    राजा दाऊद ने सच में परमेश्वर के समक्ष पश्चाताप किया था

    अपने भाई-बहनों के साथ संगति करने के माध्यम से ही मुझे यह समझ में आया, जब परमेश्वर ने कहा कि राजा दाऊद उसके हृदय के अनुसार था, तो उसका मतलब था कि दाऊद का सार परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप था। यद्यपि दाऊद ने एक आवेग में आकर अपराध किया था, लेकिन वह दिल से पश्चाताप करने में सक्षम था। यह बाइबल में दर्ज है कि, राजा दाऊद ने पाप करने के बाद, परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा था, "लौट आ, हे यहोवा, और मेरे प्राण बचा; अपनी करुणा के निमित्त मेरा उद्धार कर… मैं अपनी खाट आँसुओं से भिगोता हूँ; प्रति रात मेरा बिछौना भीगता है" (भजन संहिता 6:4,6)। अपने पाप के कारण, राजा दाऊद को गहरा पछतावा महसूस हुआ, और हर दिन उसने पश्चाताप किया, अपना पाप स्वीकारा, उपवास किया और परमेश्वर के सामने प्रार्थना की। उसने परमेश्वर से दया करने के लिए प्रार्थना की। प्रार्थना में बोले गए उसके शब्द, "मैं अपनी खाट आँसुओं से भिगोता हूँ; प्रति रात मेरा बिछौना भीगता है" उसके पश्चाताप की सीमा और वह खुद से कितनी नफरत करता था, इसे दर्शाते हैं।

    बाइबल में यह भी दर्ज है: "दाऊद राजा बूढ़ा वरन् बहुत पुरनिया हो गया था; और यद्यपि उसको कपड़े ओढ़ाये जाते थे, तौभी वह गर्म न होता था। इसलिये उसके कर्मचारियों ने उससे कहा, 'हमारे प्रभु राजा के लिये कोई जवान कुँवारी ढूँढ़ी जाए, जो राजा के सम्मुख रहकर उसकी सेवा किया करे, और तेरे पास लेटा करे, कि हमारे प्रभु राजा को गर्मी पहुँचे।' तब उन्होंने समस्त इस्राएली देश में सुन्दर कुँवारी ढूँढ़ते ढूँढ़ते अबीशग नामक एक शूनेमवासी कन्या को पाया, और राजा के पास ले आए। वह बहुत ही सुन्दर थी; और वह राजा की दासी होकर उसकी सेवा करती रही; परन्तु राजा ने उससे सहवास न किया" (1 राजाओं 1:1-4)। अपने बुढ़ापे में, राजा दाऊद अच्छी तरह से सो नहीं पाता था, इसलिए उसके नौकरों ने उसके बिछौने को गर्म करने में मदद करने के लिए एक अविश्वसनीय रूप से सुंदर कुंवारी की व्यवस्था की, लेकिन राजा दाऊद ने उसे छुआ तक नहीं। इससे, हम देख सकते हैं कि, जब दाऊद को अपने अपराध का एहसास हो गया, तो उसने पूरी तरह से पश्चाताप किया और पूरी तरह से बदल गया, ताकि वह फिर से वही पाप न करे। दाऊद कोई साधारण इस्राएली नहीं था; वह इस्राएल का राजा था, जिसके पास हैसियत और शक्ति दोनों थे। अपने पूरे जीवन के दौरान, उसने केवल एक ही बार अवैध यौन संबंधी कार्य को अंजाम दिया था। दाऊद जिस पद पर था और उसकी स्थिति जो थी उसमें, उसके लिए बस उस एक अपराध से अधिक कुछ और न करना बेहद मुश्किल था। इससे पता चलता है कि राजा दाऊद के दिल में परमेश्वर का भय था। परमेश्वर द्वारा दंडित किए जाने के बाद, उसने कभी भी परमेश्वर के वचन का तिरस्कार करने या ऐसा कुछ भी करने की हिम्मत नहीं की, जो परमेश्वर के स्वभाव को ठेस पहुंचाए, वह परमेश्वर के नाम को शर्मिंदा तो बिल्कुल नहीं करना चाहता था। हम राजा दाऊद के उसके अपराध के प्रति रवैये और उस पश्चाताप की मात्रा से देख सकते हैं कि बतशेबा के साथ उसके अवैध यौन संबंध क्षणिक आज्ञालंघन थे, लेकिन, उसका सार, एक अच्छे व्यक्ति का था। प्राचीन काल से लेकर आज तक, यह कहा जा सकता है कि कोई भी राजा, कभी भी दाऊद से आगे नहीं निकल पाया है।

    राजा दाऊद के अनुभवों से, मैंने परमेश्वर के धर्मी स्वभाव के बारे में कुछ वास्तविक समझ पाई है। परमेश्वर के वचन कहते हैं, "इसके बावजूद कि परमेश्वर क्रोध प्रकट कर रहा है या दया एवं करुणा, मनुष्य के हृदय की गहराइयों में परमेश्वर के प्रति उसका आचरण, व्यवहार और मनोवृत्ति उस बात को बताते हैं जिसे परमेश्वर के स्वभाव के प्रकाशन के माध्यम से प्रकट किया गया है।" परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव सजीव और वास्तविक है। जब दाऊद ने ऊरिय्याह की पत्नी को हथिया लिया और उसके साथ अवैध यौन संबंध बनाए, तो परमेश्वर का दंड उस पर आ गया, इससे हमें पता चलता है कि परमेश्वर धर्मी, पवित्र और किसी अपराध के प्रति सहनशील नहीं है; जब दाऊद ने अपने कर्मों के लिए दिल से पश्चाताप किया, तो परमेश्वर ने उस पर दया की और उसके प्रति उदारता दिखाई। परमेश्वर ने उसका मार्गदर्शन करना और उसके साथ रहना जारी रखा।

    राजा दाऊद से अपनी तुलना करते हुए मुझे बहुत शर्म महसूस हुई। राजा दाऊद ने केवल यही एक गलत की थी और फिर भी वह इस प्रकार दिल से पश्चाताप करने में सक्षम हुआ। इसके अलावा, उसने फिर से अपने पूरे जीवनकाल में वो गलती नहीं दोहराई। मैंने खुद के बारे में सोचा, कैसे मैं वर्षों से प्रभु में विश्वास करता रहा था और फिर भी निरंतर पाप की स्थिति में जी रहा था: मैंने प्रभु के प्यार के लिए या प्रभु को संतुष्ट करने के लिए, न तो चीजों को त्यागा, न खुद को खपाया और न कड़ी मेहनत की, बल्कि इसके बजाय मैंने ये सब आशीर्वाद प्राप्त करने और स्वर्ग में पहुँचने के लिए किया—इन सब में मैं परमेश्वर के साथ व्यापार कर रहा था। जब मैं काम और प्रचार करता था, तो मैं अक्सर इस बारे में बात करता था कि मैंने कितनी पीड़ा सही है, मैं कितना व्यस्त रहा हूँ और मैं कितना काम किया है, यह सब इसलिए कि मेरे सहकर्मी और मेरे भाई-बहन मुझे उच्च सम्मान की नज़र से देखें, मेरा आदर करें, लेकिन तब भी उनके दिल में परमेश्वर के लिए कोई जगह नहीं थी। जब भी मैं अपने सहकर्मियों के साथ कलीसिया के काम पर चर्चा करता था, तो मैं हमेशा चाहता था कि वे मेरे विचारों को स्वीकार करें और, अगर वे ऐसा नहीं करते, तो मैं गुस्सा हो जाता और उनके साथ बहस करता था। कभी-कभी, अपनी प्रतिष्ठा और पद को बनाए रखने के लिए, मैं झूठ बोलता था और दूसरे लोगों को धोखा देता था। कभी-कभी, जब मैंने अपने सहकर्मियों को मुझसे बेहतर उपदेश देते हुए देखता था, सभी भाई-बहनों को उस व्यक्ति को सुनने के लिए उत्सुक देखता, तो मैं अपने दिल में ईर्ष्या महसूस करता था, घृणा का बदसूरत चेहरा मेरे पीछे से झाँकने लगता था, और मैं उनकी आलोचना करने, उन्हें नीचा दिखाने और उन्हें अलग कर देने की भी कोशिश करता था। प्रभु पर विश्वास करने के मेरे समय के दौरान व्यवहार के ये बस कुछ उदाहरण हैं। पाप करने के बाद, मैं प्रभु से प्रार्थना करता, पश्चाताप की कामना करता था, कभी-कभी मैं खुद से घृणा करता था, कटु आँसू भी बहाता था, लेकिन जब भी फिर से इस तरह की स्थिति से मेरा सामना होता था, तो मैं खुद को फिर से पाप करने और परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह करने से रोक नहीं पाता था। मैं पाप करने और उसे स्वीकारने के दुष्चक्र के भीतर फँस कर इस तरह जी रहा था कि मैं बच कर नहीं निकल पा रहा था। अब, मुझे आखिरकार यह एहसास हो रहा है कि मेरा पश्चाताप और कुछ नहीं सिर्फ शब्द थे, और यह राजा दाऊद के पश्चाताप के समान नहीं था। क्योंकि राजा दाऊद परमेश्वर का भय मानता और उस पर श्रद्धा रहता था, इसलिए वह वास्तव में अपने पूरे दिल से खुद से नफरत करने में सक्षम था, और उसने अपने पश्चाताप को साबित करने के लिए अपने जीवन की वास्तविकता का इस्तेमाल किया था। ऐसा लग रहा था कि, अगर मेरे पास ऐसा दिल नहीं है जो परमेश्वर को बहुत चाहता है, तो मैं वास्तव में उसके समक्ष पश्चाताप नहीं कर पाउँगा, फिर उसकी प्रशंसा जीतना मेरे लिए बहुत कठिन होगा। मुझे निश्चित रूप से राजा दाऊद के सच्चे पश्चाताप का अनुकरण करना होगा।

    राजा दाऊद ने सच में परमेश्वर के समक्ष पश्चाताप किया था

    अपने भाई-बहनों के साथ संगति करने के माध्यम से ही मुझे यह समझ में आया, जब परमेश्वर ने कहा कि राजा दाऊद उसके हृदय के अनुसार था, तो उसका मतलब था कि दाऊद का सार परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप था। यद्यपि दाऊद ने एक आवेग में आकर अपराध किया था, लेकिन वह दिल से पश्चाताप करने में सक्षम था। यह बाइबल में दर्ज है कि, राजा दाऊद ने पाप करने के बाद, परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा था, "लौट आ, हे यहोवा, और मेरे प्राण बचा; अपनी करुणा के निमित्त मेरा उद्धार कर… मैं अपनी खाट आँसुओं से भिगोता हूँ; प्रति रात मेरा बिछौना भीगता है" (भजन संहिता 6:4,6)। अपने पाप के कारण, राजा दाऊद को गहरा पछतावा महसूस हुआ, और हर दिन उसने पश्चाताप किया, अपना पाप स्वीकारा, उपवास किया और परमेश्वर के सामने प्रार्थना की। उसने परमेश्वर से दया करने के लिए प्रार्थना की। प्रार्थना में बोले गए उसके शब्द, "मैं अपनी खाट आँसुओं से भिगोता हूँ; प्रति रात मेरा बिछौना भीगता है" उसके पश्चाताप की सीमा और वह खुद से कितनी नफरत करता था, इसे दर्शाते हैं।

    बाइबल में यह भी दर्ज है: "दाऊद राजा बूढ़ा वरन् बहुत पुरनिया हो गया था; और यद्यपि उसको कपड़े ओढ़ाये जाते थे, तौभी वह गर्म न होता था। इसलिये उसके कर्मचारियों ने उससे कहा, 'हमारे प्रभु राजा के लिये कोई जवान कुँवारी ढूँढ़ी जाए, जो राजा के सम्मुख रहकर उसकी सेवा किया करे, और तेरे पास लेटा करे, कि हमारे प्रभु राजा को गर्मी पहुँचे।' तब उन्होंने समस्त इस्राएली देश में सुन्दर कुँवारी ढूँढ़ते ढूँढ़ते अबीशग नामक एक शूनेमवासी कन्या को पाया, और राजा के पास ले आए। वह बहुत ही सुन्दर थी; और वह राजा की दासी होकर उसकी सेवा करती रही; परन्तु राजा ने उससे सहवास न किया" (1 राजाओं 1:1-4)। अपने बुढ़ापे में, राजा दाऊद अच्छी तरह से सो नहीं पाता था, इसलिए उसके नौकरों ने उसके बिछौने को गर्म करने में मदद करने के लिए एक अविश्वसनीय रूप से सुंदर कुंवारी की व्यवस्था की, लेकिन राजा दाऊद ने उसे छुआ तक नहीं। इससे, हम देख सकते हैं कि, जब दाऊद को अपने अपराध का एहसास हो गया, तो उसने पूरी तरह से पश्चाताप किया और पूरी तरह से बदल गया, ताकि वह फिर से वही पाप न करे। दाऊद कोई साधारण इस्राएली नहीं था; वह इस्राएल का राजा था, जिसके पास हैसियत और शक्ति दोनों थे। अपने पूरे जीवन के दौरान, उसने केवल एक ही बार अवैध यौन संबंधी कार्य को अंजाम दिया था। दाऊद जिस पद पर था और उसकी स्थिति जो थी उसमें, उसके लिए बस उस एक अपराध से अधिक कुछ और न करना बेहद मुश्किल था। इससे पता चलता है कि राजा दाऊद के दिल में परमेश्वर का भय था। परमेश्वर द्वारा दंडित किए जाने के बाद, उसने कभी भी परमेश्वर के वचन का तिरस्कार करने या ऐसा कुछ भी करने की हिम्मत नहीं की, जो परमेश्वर के स्वभाव को ठेस पहुंचाए, वह परमेश्वर के नाम को शर्मिंदा तो बिल्कुल नहीं करना चाहता था। हम राजा दाऊद के उसके अपराध के प्रति रवैये और उस पश्चाताप की मात्रा से देख सकते हैं कि बतशेबा के साथ उसके अवैध यौन संबंध क्षणिक आज्ञालंघन थे, लेकिन, उसका सार, एक अच्छे व्यक्ति का था। प्राचीन काल से लेकर आज तक, यह कहा जा सकता है कि कोई भी राजा, कभी भी दाऊद से आगे नहीं निकल पाया है।

    राजा दाऊद के अनुभवों से, मैंने परमेश्वर के धर्मी स्वभाव के बारे में कुछ वास्तविक समझ पाई है। परमेश्वर के वचन कहते हैं, "इसके बावजूद कि परमेश्वर क्रोध प्रकट कर रहा है या दया एवं करुणा, मनुष्य के हृदय की गहराइयों में परमेश्वर के प्रति उसका आचरण, व्यवहार और मनोवृत्ति उस बात को बताते हैं जिसे परमेश्वर के स्वभाव के प्रकाशन के माध्यम से प्रकट किया गया है।" परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव सजीव और वास्तविक है। जब दाऊद ने ऊरिय्याह की पत्नी को हथिया लिया और उसके साथ अवैध यौन संबंध बनाए, तो परमेश्वर का दंड उस पर आ गया, इससे हमें पता चलता है कि परमेश्वर धर्मी, पवित्र और किसी अपराध के प्रति सहनशील नहीं है; जब दाऊद ने अपने कर्मों के लिए दिल से पश्चाताप किया, तो परमेश्वर ने उस पर दया की और उसके प्रति उदारता दिखाई। परमेश्वर ने उसका मार्गदर्शन करना और उसके साथ रहना जारी रखा।

    राजा दाऊद से अपनी तुलना करते हुए मुझे बहुत शर्म महसूस हुई। राजा दाऊद ने केवल यही एक गलत की थी और फिर भी वह इस प्रकार दिल से पश्चाताप करने में सक्षम हुआ। इसके अलावा, उसने फिर से अपने पूरे जीवनकाल में वो गलती नहीं दोहराई। मैंने खुद के बारे में सोचा, कैसे मैं वर्षों से प्रभु में विश्वास करता रहा था और फिर भी निरंतर पाप की स्थिति में जी रहा था: मैंने प्रभु के प्यार के लिए या प्रभु को संतुष्ट करने के लिए, न तो चीजों को त्यागा, न खुद को खपाया और न कड़ी मेहनत की, बल्कि इसके बजाय मैंने ये सब आशीर्वाद प्राप्त करने और स्वर्ग में पहुँचने के लिए किया—इन सब में मैं परमेश्वर के साथ व्यापार कर रहा था। जब मैं काम और प्रचार करता था, तो मैं अक्सर इस बारे में बात करता था कि मैंने कितनी पीड़ा सही है, मैं कितना व्यस्त रहा हूँ और मैं कितना काम किया है, यह सब इसलिए कि मेरे सहकर्मी और मेरे भाई-बहन मुझे उच्च सम्मान की नज़र से देखें, मेरा आदर करें, लेकिन तब भी उनके दिल में परमेश्वर के लिए कोई जगह नहीं थी। जब भी मैं अपने सहकर्मियों के साथ कलीसिया के काम पर चर्चा करता था, तो मैं हमेशा चाहता था कि वे मेरे विचारों को स्वीकार करें और, अगर वे ऐसा नहीं करते, तो मैं गुस्सा हो जाता और उनके साथ बहस करता था। कभी-कभी, अपनी प्रतिष्ठा और पद को बनाए रखने के लिए, मैं झूठ बोलता था और दूसरे लोगों को धोखा देता था। कभी-कभी, जब मैंने अपने सहकर्मियों को मुझसे बेहतर उपदेश देते हुए देखता था, सभी भाई-बहनों को उस व्यक्ति को सुनने के लिए उत्सुक देखता, तो मैं अपने दिल में ईर्ष्या महसूस करता था, घृणा का बदसूरत चेहरा मेरे पीछे से झाँकने लगता था, और मैं उनकी आलोचना करने, उन्हें नीचा दिखाने और उन्हें अलग कर देने की भी कोशिश करता था। प्रभु पर विश्वास करने के मेरे समय के दौरान व्यवहार के ये बस कुछ उदाहरण हैं। पाप करने के बाद, मैं प्रभु से प्रार्थना करता, पश्चाताप की कामना करता था, कभी-कभी मैं खुद से घृणा करता था, कटु आँसू भी बहाता था, लेकिन जब भी फिर से इस तरह की स्थिति से मेरा सामना होता था, तो मैं खुद को फिर से पाप करने और परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह करने से रोक नहीं पाता था। मैं पाप करने और उसे स्वीकारने के दुष्चक्र के भीतर फँस कर इस तरह जी रहा था कि मैं बच कर नहीं निकल पा रहा था। अब, मुझे आखिरकार यह एहसास हो रहा है कि मेरा पश्चाताप और कुछ नहीं सिर्फ शब्द थे, और यह राजा दाऊद के पश्चाताप के समान नहीं था। क्योंकि राजा दाऊद परमेश्वर का भय मानता और उस पर श्रद्धा रहता था, इसलिए वह वास्तव में अपने पूरे दिल से खुद से नफरत करने में सक्षम था, और उसने अपने पश्चाताप को साबित करने के लिए अपने जीवन की वास्तविकता का इस्तेमाल किया था। ऐसा लग रहा था कि, अगर मेरे पास ऐसा दिल नहीं है जो परमेश्वर को बहुत चाहता है, तो मैं वास्तव में उसके समक्ष पश्चाताप नहीं कर पाउँगा, फिर उसकी प्रशंसा जीतना मेरे लिए बहुत कठिन होगा। मुझे निश्चित रूप से राजा दाऊद के सच्चे पश्चाताप का अनुकरण करना होगा।

स्रोत: यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए

    बाइबल अध्ययन खण्ड, बाइबल के पदों के बारे में ईसाइयों की शुद्ध समझ को आपके साथ साझा करता है, यह आपको बाइबल की गहराई में जाने और परमेश्वर की इच्छा को समझने में मदद करता हैI

प्रभु यीशु का स्वागत करें

प्रभु यीशु ने कहा, “आधी रात को धूम मची : ‘देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो।’ (मत्ती 25:6) प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी, “देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर

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