हम परमेश्वर के आशीषों को कैसे पा सकते हैं

    हममें से हर कोई जो परमेश्वर में विश्वास रखता है, वह परमेश्वर का आशीष प्राप्त करने की इच्छा रखता है, क्योंकि परमेश्वर का एक व्यक्ति को आशीष देना यह दर्शाता है कि यह व्यक्ति परमेश्वर द्वारा स्वीकृत है और परमेश्वर को प्रसन्न करता है। तो, हम परमेश्वर का आशीष कैसे प्राप्त कर सकते हैं? हम सभी इसे लेकर चिंतित हैं। हम सभी बाइबल के अभिलेखों से जानते हैं कि नूह और अब्राहम परमेश्वर द्वारा आशीषित थे। तो, परमेश्वर से आशीष पाने से पहले उन्होंने वास्तव में क्या किया था? आइए, हम बाइबल का अध्ययन करके उनके अनुभवों को समझें और उनके उदाहरणों का अनुसरण करें।

नूह को परमेश्वर की आशीष क्यों मिली?

    बाइबल में लिखा है: "और परमेश्‍वर ने पृथ्वी पर जो दृष्‍टि की तो क्या देखा कि वह बिगड़ी हुई है; क्योंकि सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपना अपना चाल-चलन बिगाड़ लिया था। तब परमेश्‍वर ने नूह से कहा, 'सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे सामने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिये मैं उनको पृथ्वी समेत नष्‍ट कर डालूँगा। इसलिये तू गोपेर वृक्ष की लकड़ी का एक जहाज बना ले, उसमें कोठरियाँ बनाना, और भीतर-बाहर उस पर राल लगाना।' …परमेश्‍वर की इस आज्ञा के अनुसार नूह ने किया" (उत्पत्ति 6:12-14, 22)।

    इन धर्मशास्त्रों से, हम देख सकते हैं कि उस समय, परमेश्वर के बाढ़ से पृथ्वी को नष्ट करने के पहले, उन्होंने नूह को एक जहाज बनाने के लिए पुकारा और उसे बताया कि इसे कैसे बनाना है। तब नूह ने एक-एक करके परमेश्वर के निर्देशों का पालन करते हुए, वैसा ही किया जैसा परमेश्वर ने कहा था। जब बाढ़ आई, तो नूह और उसके परिवार के सात सदस्य जहाज़ में प्रवेश कर बच गए। बाढ़ के बाद वे परमेश्वर के आशीष में रहते थे और उस अनुग्रह का आनंद लेते थे जो परमेश्वर ने दिया था। तो, नूह ने परमेश्वर का आशीष क्यों हासिल किया? परमेश्वर के वचन हमें इसका जवाब देते हैं। परमेश्वर कहते हैं: "जब नूह ने वैसा किया जैसा परमेश्वर ने निर्देश दिया था तो वह नहीं जानता था कि परमेश्वर के इरादे क्या थे। उसे नहीं पता था कि परमेश्वर क्या पूरा करना चाहता था। परमेश्वर ने नूह को सिर्फ एक आज्ञा दी थी, उसे कुछ करने के लिए निर्देश दिया था, किन्तु अधिक विवरण नहीं दिया, पर वह आगे बढ़ा और उसने इसे किया। उसने अकेले में परमेश्वर के इरादों को जानने की कोशिश नहीं की, न ही उसने परमेश्वर का विरोध किया या न ही वह दोमना था। उसने मात्र इसे एक शुद्ध एवं सरल हृदय के साथ तदनुसार किया। जो कुछ करने के लिए परमेश्वर ने उसे अनुमति दी उसने उसे किया, और कार्यों को करने के लिए परमेश्वर के वचन को मानने एवं सुनने में उसका दृढ़ विश्वास था। जो कुछ परमेश्वर ने उसे सौंपा था उसके साथ उसने इसी प्रकार स्पष्टवादिता एवं सरलता से व्यवहार किया था। उसका सार—उसके कार्यों का सार आज्ञाकारिता थी, आलोचना या प्रतिरोध नहीं था, और इसके अतिरिक्त, अपनी व्यक्तिगत रुचियों और अपने लाभ एवं हानि के विषय में सोचना नहीं था। और, जब परमेश्वर ने कहा कि वह जलप्रलय से संसार का नाश करेगा, तो उसने नहीं पूछा कब या इसकी तह तक पहुँचने की कोशिश नहीं की, और उसने निश्चित तौर पर परमेश्वर से नहीं पूछा कि वह किस प्रकार संसार को नष्ट करने जा रहा था। उसने केवल वही किया जैसा परमेश्वर ने निर्देश दिया था। चाहे जैसे भी परमेश्वर इसे बनाना चाहता था या जिस भी चीज़ से बनाना चाहता था, उसने बिलकुल वैसा ही किया जैसा परमेश्वर ने उसे कहा था और उसके तुरन्त बाद कार्य का प्रारम्भ भी किया था।"

    "परमेश्वर को, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कोई व्यक्ति महान है या मामूली, जब तक वे उसे ध्यान से सुन सकते हैं, उसके निर्देशों और जो कुछ वह सौंपता है उसका पालन कर सकते हैं, और उसके कार्य, उसकी इच्छा एवं उसकी योजना के साथ सहयोग कर सकते हैं, ताकि उसकी इच्छा एवं उसकी योजना को निर्विघ्नता से पूरा किया जा सके, तो ऐसा आचरण उसके द्वारा उत्सव मनाए जाने के योग्य है और उसकी आशीष को प्राप्त करने के योग्य है। परमेश्वर ऐसे लोगों को मूल्यवान जानकर सहेजकर रखता है, और वह उनके कार्यों एवं अपने लिए उनके प्रेम एवं उनके स्नेह को ह्रदय में संजोता है। यह परमेश्वर का रवैया है। तो परमेश्वर ने नूह को आशीष क्यों दी? क्योंकि परमेश्वर इसी तरह से मनुष्य के ऐसे कार्यों एवं उसकी आज्ञाकारिता से पेश आता है।"

    परमेश्वर के वचनों से, हम देख सकते हैं: जब परमेश्वर ने नूह को एक जहाज़ बनाने का काम सौंपा, तो भले ही नूह ने कभी एक जहाज़ नहीं देखा था, और जहाज़ बनाने का तरीका नहीं जानता था, उसने यह नहीं पूछा कि परमेश्वर ने उसे ऐसा कार्य क्यों सौंपा। इसके बजाय, उसका रवैया बस परमेश्वर की आज्ञाकारिता का था। उसने परमेश्वर की अपेक्षाओं के आधार पर कार्य किया, परमेश्वर के आदेश को अपनी ज़िम्मेदारी और कर्तव्य मानकर उसे पूरा किया। इस प्रकार, उसने परमेश्वर का आशीष प्राप्त किया।

अब्राहम ने परमेश्वर से आशीष क्यों पायी?

    अब्राहम की कहानी के बारे में हम सभी जानते हैं। जब अब्राहम एक सौ साल का था, तब परमेश्वर ने उसे इसहाक नामक एक पुत्र प्रदान किया, लेकिन जब इसहाक बड़ा हुआ, तो परमेश्वर ने अब्राहम को उसे एक बलि के रूप में अर्पित करने को कहा। अधिकांश लोग परमेश्वर की इस मांग को बहुत ही अकल्पनीय मानते हैं और अब्राहम की ओर से बहाने देते हैं: जब परमेश्वर ने उसे एक बेटा दे दी दिया था, तब परमेश्वर ने उसे वह बेटा अर्पित करने के लिए क्यों कहा? परमेश्वर ने उसे बेटा दिया ही क्यों? अब्राहम ने परमेश्वर की माँग के साथ कैसा व्यवहार किया? बाइबल कहती है, "अत: अब्राहम सबेरे तड़के उठा और अपने गदहे पर काठी कसकर अपने दो सेवक, और अपने पुत्र इसहाक को संग लिया, और होमबलि के लिये लकड़ी चीर ली; तब निकल कर उस स्थान की ओर चला, जिसकी चर्चा परमेश्‍वर ने उससे की थी" (उत्पत्ति 22:3)। "जब वे उस स्थान को जिसे परमेश्‍वर ने उसको बताया था पहुँचे; तब अब्राहम ने वहाँ वेदी बनाकर लकड़ी को चुन चुनकर रखा, और अपने पुत्र इसहाक को बाँध कर वेदी पर की लकड़ी के ऊपर रख दिया। फिर अब्राहम ने हाथ बढ़ाकर छुरी को ले लिया कि अपने पुत्र को बलि करे" (उत्पत्ति 22:9-10)। जब परमेश्वर की परीक्षा उस पर आयी, तो भले ही वह अपने बेटे से अलग होना सह नहीं सकता था और दिल से बहुत व्यथित था, लेकिन इस पर भी वह बहुत विवेकपूर्ण था, उसने परमेश्वर के साथ तर्क नहीं किया, इसके बजाय, वह बिना शर्त परमेश्वर को समर्पित हो गया और परमेश्वर की आज्ञानुसार, ईमानदारी से इसहाक को परमेश्वर को लौटा दिया। अब्राहम की आज्ञाकारिता ने परमेश्वर को उसकी ईमानदारी दिखाई। जैसा कि परमेश्वर के वचन कहते हैं, "जब अब्राहम ने अपने हाथ को आगे बढ़ाया, और अपने बेटे को मारने के लिए छुरा लिया, तो क्या उसके कार्यकलापों को परमेश्वर के द्वारा देखा गया था? उन्हें देखा गया था। सम्पूर्ण प्रक्रिया ने—आरम्भ से, जब परमेश्वर ने कहा कि अब्राहम इसहाक का बलिदान करे से लेकर, उस समय तक जब अब्राहम ने अपने पुत्र का वध करने के लिए वास्तव में छुरा उठा लिया—परमेश्वर को अब्राहम का हृदय दिखाया, परमेश्वर के बारे में उसकी पहले की मूर्खता, अज्ञानता और ग़लतफ़हमी चाहे जो भी रही हो, उस समय अब्राहम का हृदय परमेश्वर के प्रति सच्चा, और ईमानदार था, और वह परमेश्वर के द्वारा दिये गए पुत्र, इसहाक को सचमुच में परमेश्वर को वापस देने जा रहा था। परमेश्वर ने उसमें आज्ञाकारिता—उसी आज्ञाकारिता को देखा जिसकी उसने इच्छा की थी।"

    परीक्षा में, अब्राहम ने पूरी तरह से स्वयं को परमेश्वर को समर्पित करने का विकल्प चुना, क्योंकि उसके दिल में, परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता सबसे ऊपर थी, जो इसहाक से अधिक महत्वपूर्ण थी। परमेश्वर ने जो सबसे अधिक संजोया है, वह है लोगों का सच्चा दिल और उसके प्रति उनकी आज्ञाकारिता। इसलिए, परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता के कारण, अब्राहम ने परमेश्वर का आशीष प्राप्त किया, और उसके वंशज आकाश के तारों और तट की रेत जितने हुए। जैसा कि उत्पत्ति 22:16-18 कहा गया है: "यहोवा की यह वाणी है, कि मैं अपनी ही यह शपथ खाता हूँ कि तू ने जो यह काम किया है कि अपने पुत्र, वरन् अपने एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा; इस कारण मैं निश्‍चय तुझे आशीष दूँगा; और निश्‍चय तेरे वंश को आकाश के तारागण, और समुद्र के तीर की बालू के किनकों के समान अनगिनित करूँगा, और तेरा वंश अपने शत्रुओं के नगरों का अधिकारी होगा; और पृथ्वी की सारी जातियाँ अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी: क्योंकि तू ने मेरी बात मानी है।"

हम परमेश्वर की आशीष कैसे पा सकते हैं?

    नूह और अब्राहम की कहानियों को पढ़ने के बाद, हम पाते हैं कि उनमें एक बात समान थी: वे दोनों परमेश्वर की बात सुनते और मानते थे और वे परमेश्वर की इच्छा का पालन करते थे। चाहे परमेश्वर जो भी कहे, भले ही वे उस समय परमेश्वर की इच्छा को नहीं समझते थे, वे सरल थे, ईमानदारी से परमेश्वर में विश्वास करते थे, और लेशमात्र भी सौदे और मांग के बिना परमेश्वर के वचनों के अनुसार कार्य करते थे। उनकी तुलना में, हालाँकि हम भी परमेश्वर में विश्वास करते हैं, लेकिन हमारे भीतर अशुद्धियां हैं और हम हमेशा परमेश्वर के साथ सौदे करते हैं। मुझे याद आता है, जब परमेश्वर का आदेश मुझे मिला, तो मैंने सबसे पहले अपने फायदे के बारे में सोचा था। मैं उन कर्तव्यों को निभाने के लिए तैयार नहीं थी जो मेरे लाभ के लिए नहीं थे, अगर मैंने काम किया भी तो, मैंने वास्तव में आज्ञापालन नहीं किया, मुझमें परमेश्वर के प्रति कोई विचारशीलता नहीं थी। मैंने यह केवल इसलिए किया क्योंकि मैं स्वयं को खपाने के बदले में परमेश्वर का आशीष पाना चाहती थी, जैसे कि एक शांतिपूर्ण परिवार, एक समृद्ध कैरियर और स्वर्गिक राज्य में प्रवेश पाने का आशीष। परिणामस्वरूप, मैंने जो किया, वह परमेश्वर की स्वीकृति को बिल्कुल नहीं जीत सकता था। इसलिए, यदि हम परमेश्वर के आशीष के भीतर रहने की उम्मीद करते हैं, तो हमें नूह का अनुकरण करते हुए पूरी तरह परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना चाहिए। अब्राहम ने भी परमेश्वर के परीक्षणों और परिशोधनों का सामना करते हुए केवल परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने का प्रयास किया। इसलिए वह इसहाक को अन्य प्रयोजनों और इरादों के बिना, परमेश्वर को देने के लिए तैयार था। लेकिन जब हमें परीक्षाओं का सामना करना पड़ता है, तो हम हमेशा परमेश्वर को गलत समझते हैं और परमेश्वर के विरुद्ध शिकायत करते हैं। हम परमेश्वर के शासन और व्यवस्था का पालन करने में सच में असमर्थ हैं, इसलिए हम परमेश्वर का आशीष प्राप्त नहीं कर सकते।

    दरअसल, परमेश्वर के आशीष में रहना हमारे लिए कठिन नहीं है क्योंकि परमेश्वर की हमसे ऊँची अपेक्षाएं नहीं हैं। जब तक हम परमेश्वर को समझ सकते हैं, परमेश्वर में विश्वास और उनकी आज्ञा का पालन कर सकते हैं, परमेश्वर का भय मान सकते हैं, बुराई से दूर रह सकते हैं, तो चाहे कोई भी बात हो, चाहे परमेश्वर का आदेश हो, इम्तहान या परीक्षण हो, हम नूह और अब्राहम की तरह परमेश्वर का आशीष प्राप्त करेंगे। जैसा कि परमेश्वर के वचन कहते हैं, "ऐसे लोग जो परमेश्वर का भय मानते और बुराई से दूर रहते हैं, ऐसे लोग जो सचमुच में परमेश्वर का अनुसरण करते हैं, उसको ध्यान से सुनते हैं और उसके प्रति वफादार हैं, और ऐसे लोग जो उसकी आज्ञा का पालन करते हैं—ये ऐसे लोग हैं जो प्रायः परमेश्वर के आशीष प्राप्त करते हैं, और परमेश्वर बिना किसी हिचकिचाहट के ऐसे आशीष प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, ऐसी आशीष जिन्हें लोग परमेश्वर से प्राप्त करते हैं वे अक्सर उनकी कल्पना से परे होती हैं, और साथ ही किसी भी ऐसी चीज़ से परे होती हैं जिसे मानव उससे बदल सकते हैं जो उन्होंने किया है या उस कीमत से बदल सकते हैं जिसे उन्होंने चुकाया है।"

स्रोत: यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए

    बाइबिल के उपदेश आपको बाइबल की गहराई में जाने और परमेश्वर की इच्छा को समझने में मदद करता हैI

प्रभु यीशु का स्वागत करें

प्रभु यीशु ने कहा, “आधी रात को धूम मची : ‘देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो।’ (मत्ती 25:6) प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी, “देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर

0コメント

  • 1000 / 1000