एक ईसाई का सुखद विवाह: बिना “धन” का विवाह कैसे निभाएं

    एक सुबह, सूरज की किरणों ने घर पर चमकते फर्श को सुनहले रंग से रंग दिया। कियानहुई ने अपनी आँखें खोली और अंगड़ाई ली, लेकिन जैसे ही वह बिस्तर से बाहर निकलने वाली थी, फोन बज उठा। उसने उठाया और उसे अपनी दोस्त लिली की आवाज़ सुनाई दी। “कियानहुई, अगले रविवार को मेरी शादी है, तुम्हें आना ही होगा! …”

    कियानहुई अपने दोस्त की शादी की खुशखबरी सुनकर उसके लिए बहुत खुश थी। उसने सोचा, “इतने सारे लोगों ने लिली के लिए एक प्रेमी लाने की कोशिश की, सभी पुरुष अच्छे घराने से थे, लेकिन वह कभी संतुष्ट नहीं हुई। अब उसकी शादी हो रही है, इसलिए उसके पति का परिवार निश्चय ही बहुत अच्छा होगा।”

लिली की शादी के दिन, कियानहुई अपने कपड़े पहनने और सजने-संवरने करने के लिए जल्दी उठ गई। वह सुबह 10 बजे के आसपास लिली के घर पहुंचकर दरवाजे के भीतर जाने पर उसने जो नया घर देखा, तो वो पूरी तरह चौंक गयी। उसका चौड़ा बैठक, सुंदर सजावट, फैशनेबल, शानदार फर्नीचर… घर को केवल “शानदार” कह कर ही बयाँ किया जा सकता था। प्रशंसा के बीज उसके दिल में जम गये थे: कोई आश्चर्य नहीं कि लिली शादी कर रही है! उसका पति बहुत ही अमीर होगा!

    फिर, जब कियानहुई शादी में पहुंची, तो वह विलासिता के प्रदर्शन पर और भी हैरान रह गयी: शादी एक स्टार रैंकिंग वाले होटल एमसी में थी, जो उस क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध मेजबान था, और बारात की सभी कारें अपने ब्रांड की सबसे उच्चतम मॉडल थीं। अपने सामने के दृश्य को देखते हुए, कियानहुई को ईर्ष्या और जलन दोनों होने लगी। वह आह भरे बिना ना रह सकी और सोचने लगी: “स्कूल में, पढ़ाई और रूप दोनों में, मैं लिली से बेहतर थी, लेकिन अब, मैं हर मामले में पिछड़ रही हूँ। शादी की भव्यता की बात रहने भी दूँ तो भी जिस घर में मैं वर्षों से रह रही हूँ, वह अभी भी एक सामान्य बंगला ही है। मैं जीवनभर काम करती रहूँ तो भी लिली के जैसी शानदार ज़िन्दगी कभी नहीं जी सकती।” कियानहुई बहुत खोई हुई महसूस करने लगी, और पहली बार एक जीवनसाथी की तलाश करते समय उसने जो सरल मानक तय किये थे, उन पर पछताने लगी। वो केवल इतना चाहती थी कि उसका भावी साथी ईमानदार हो और वे भविष्य में एक साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकें। इसका नतीजा ये हुआ कि लापरवाही से खोजते हुए उसने एक ऐसा पति पाया जिसमें पैसे कमाने की क्षमता नहीं थी। उसने सोचा, अगर वह यह सब कुछ फिर से कर सकती, तो वह एक अमीर आदमी ढूंढती जिसके पास एक घर और कार हो। खैर, अब इन सबके लिए बहुत देर हो चुकी है। कियानहुई ने असहायता में अपना सिर हिलाया। खुद को नुकसान की भावना में डूबे रहने से बचाने के लिए, उसने अपने कुछ दोस्तों के साथ बातचीत की, जिन्हें उसने लंबे समय से नहीं देखा था। लेकिन उसके दोस्त भी अपने पति के काम, आय, परिवार के घरों, कारों के बारे में दिखावा कर रहे थे… अपने दोस्तों की तुलना में, कियानहुई को लगा कि उसके पास दिखावा करने लायक कुछ नहीं है। उसके आत्मसम्मान को गंभीर रूप से चोट पहुँची और उसका मूड खराब हो गया। वह एक जगह शांति से नहीं बैठ पा रही थी, इसलिए उसने बस खाना खाया और जल्दी में वहाँ से चल दी।

    घर आने पर, कियानहुई ने शादी में जो कुछ देखा, उसके दृश्य दिमाग में तैरने लगे। उसके सभी दोस्त उससे बेहतर स्थान पर थे। उसके पास बहुत पैसा नहीं था, उसके पास कार नहीं थी, शानदार ज़िन्दगी की तो बात छोड़ो, उसके पास अपार्टमेंट बिल्डिंग में एक कॉन्डो यूनिट तक नहीं थी। वो जितना सोचती गयी, वह उतना ही दुखी होती गयी। उसने सोचा कि वह अभी इतना खोया हुआ इसलिए महसूस कर रही थी क्योंकि उसका पति अक्षम था। यदि उसका पति एक सम्पन्न परिवार से आता, या यदि वो बहुत सा पैसा कमा सकता, तो क्या उसके पास घर, कार, और एक अमीरों सी सुंदर जीवन शैली नहीं होती? क्या वो भी अपने दोस्तों के सामने दिखावा नहीं करती? इस विचार का कारण उसने अपने घर में जो कुछ भी देखा वो उसे बदसूरत लगने लगा, खासकर उसे अपने पति की अनाड़ी ईमानदारी, कमजोरी और अक्षमता कुरूप लगने लगी। जब भी उसका पति कुछ भी ऐसा करता जिससे थोड़ी सी नाराजगी हो, तो उसने अपने असंतोष को बाहर निकालने के लिए अपना आपा खोने का एक बहाना मिल जाता। हर बार जब कियानहुई का पति उसे दुखी देखता, तो वह उसे दिलासा देने की कोशिश करता था। भले ही कियानहुई जानती थी कि उसका पति उसके साथ अच्छा व्यवहार करता है और हर चीज़ में उसकी बात मानता है, फिर भी वह हमेशा अपमानित महसूस करती थी। वह ऐसी साधारण जिंदगी नहीं जीना चाहती थी, जहाँ गरीबी से बचना असंभव लगता हो। और इसलिए, उसका पहले का सामंजस्यपूर्ण और आरामदायक पारिवारिक जीवन अब झगड़ालू जीवन में बदल गया था। धीरे-धीरे, कियानहुई को लगा कि उसका पति बदल गया है। पहले, वो काम से वापस आकर, उससे बातें करते हुए, घर का काम करने में उसकी मदद करता था, लेकिन अब वह उसके प्रति उसके पति का बर्ताव ठंडा था। जब भी उसके पति के पास करने के लिए कुछ नहीं होता, तो वो अपने फोन पर गेम खेलना शुरू कर देता था, वह मुश्किल से उससे बातें करता था। उसके अजीब व्यवहार से कियानहुई और भी कुंठित हो गयी। उसने सोचा, “तुमसे शादी करना ही काफी अपमानजनक था, और अब तुम मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हो। मैं सच में इस तरह नहीं जी सकती!” जितना अधिक वह इसके बारे में सोचती, उतना ही दुखी और मायूस महसूस करती थी। वह नहीं जानती कि वो कैसे आगे बढ़े।

    बाद में, कियानहुई ने परमेश्वर के अंत के दिनों के सुसमाचार को स्वीकार किया। वह अक्सर अपने भाई-बहनों के साथ परमेश्वर के वचनों को पढ़ने के लिए सभाओं में जाती थी। अपने भाई- बहनों के साथ बातचीत के दौरान, उसने देखा कि हर कोई बहुत ईमानदार और दयालु था। यदि किसी को कठिनाइयाँ थी या वे उलझन में थे, तो वे एक साथ खुलकर चर्चा कर सकते थे और परमेश्वर के वचनों में सत्य की तलाश कर सकते थे। उनके बीच कोई श्रेष्ठता या हीनता नहीं थी, कोई किसी अन्य को नीची नजरों से नहीं देखता था, सभी एक दूसरे की मदद, समर्थन और आपूर्ति करते थे। सभी परमेश्वर के वचनों के अनुसार सत्य का अनुसरण करते थे और इस प्रकार एक मानवीय समानता का जीवन व्यतीत किया करते थे। कियानहुई को यह माहौल बहुत पसंद आया, और उसने एक प्रकार की सहजता और खुशी महसूस करना शुरू कर दिया जो उसने पहले कभी महसूस नहीं किया था।

    बाद में कियानहुई ने परमेश्वर के इन वचनों को पढ़ा, “व्यक्ति का अपने जीवन में कई लोगों से सामना होता है, किन्तु कोई नहीं जानता है कि उसका जीवनसाथी कौन बनेगा। यद्यपि विवाह के विषय पर प्रत्येक की अपनी स्वयं की सोच और अपने व्यक्तिगत रवैये होते हैं, फिर भी वह पूर्वानुमान नहीं लगा सकता हैं कि अंततः कौन उसका सच्चा जीवनसाथी बनेगा, और उसकी स्वयं की अवधारणाएँ कम महत्व रखती हैं। तुम जिस व्यक्ति को पसंद करते हो उससे मिलने के बाद, उसे पाने का प्रयास कर सकते हो; किन्तु वह तुममें रुचि रखता या रखती है या नहीं, वह तुम्हारा या तुम्हारी जीवन साथी बनने के योग्य है या नहीं, यह तय करना तुम्हारा काम नहीं है। तुम्हारी अनुरक्तियों का व्यक्ति ज़रूरी नहीं कि वह व्यक्ति हो जिसके साथ तुम अपना जीवन साझा करने में समर्थ होगे; और इसी बीच कोई ऐसा जिसकी तुमने कभी अपेक्षा नहीं की थी वह चुपके से तुम्हारे जीवन में प्रवेश कर जाता है और तुम्हारा साथी बन जाता है, तुम्हारे भाग्य का सबसे महत्वपूर्ण अवयव, तुम्हारा जीवन-साथी बन जाता है, जिसके साथ तुम्हारा भाग्य अभिन्न रूप से बँध जाता है। और इसलिए, यद्यपि संसार में लाखों विवाह होते हैं, फिर भी हर एक भिन्न है: कितने विवाह असंतोषजनक होते हैं, कितने सुखद होते हैं; कितने पूर्व तथा पश्चिम, कितने उत्तर और दक्षिण तक फैल जाते हैं; कितने परिपूर्ण जोड़े होते हैं, कितने समकक्ष श्रेणी के होते हैं; कितने सुखद और सामंजस्यपूर्ण होते हैं, कितने दुःखदाई और कष्टपूर्ण होते हैं; कितने दूसरों से इर्ष्यापूर्ण होते हैं, कितनों को ग़लत समझा जाता है और उन पर नाक-भौं चढ़ाई जाती है; कितने आनन्द से भरे होते हैं, कितने आँसूओं से भरे हैं और मायूसी पैदा करते हैं।… इन अनगिनत विवाहों में, मनुष्य विवाह के प्रति वफादारी और आजीवन समर्पण प्रकट करते हैं, या प्रेम, आसक्ति, एवं अवियोज्यता को, या परित्याग और न समझ पाने को, या विवाह के प्रति विश्वासघात को, और यहाँ तक कि घृणा को भी प्रकट करते हैं। चाहे विवाह स्वयं में खुशी लाता हो या पीड़ा, विवाह में हर एक व्यक्ति का ध्येय सृजनकर्ता के द्वारा पूर्वनियत होता है और यह बदलेगा नहीं; हर एक को इसे पूरा करना ही होगा। और प्रत्येक विवाह के पीछे निहित व्यक्तिगत भाग्य अपविर्तनीय होता है; इसे बहुत पहले ही सृजनकर्ता के द्वारा अग्रिम में निर्धारित किया गया था” (“स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III”)। परमेश्वर के वचनों को पढ़ने के बाद, कियानहुई को अचानक एहसास हुआ। वह समझ गयी कि लोगों की शादियाँ परमेश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित होती हैं। ऐसे कई लोग हैं जो किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहना चाहते हैं जिसे वे प्यार करते हैं, लेकिन किसी न किसी तरह से, उन्हें किसी अन्य व्यक्ति से शादी करनी पड़ती है, और यह एक ऐसा मामला है जिसमें उनके पास कोई विकल्प नहीं होता है। अब, कियानहुई को एहसास हुआ कि वह अपने पति से मिली, उसे जाना, उसके साथ रही, यह सब इसलिए हुआ क्योंकि यह उसके भाग्य के लिए परमेश्वर की व्यवस्था थी। लेकिन, जब लोग परमेश्वर की महारत को नहीं समझते हैं और परमेश्वर के आयोजन और व्यवस्थाओं का पालन नहीं करते हैं, तो वे शादी के लिए अपनी अपेक्षाएं रखते हैं, साथ ही अपनी पसंद और प्रयास को मान्यता देते हैं। कुछ लोग सुंदर, शालीन, या खूबसूरत रूप चाहते हैं, कुछ ऐसे साथी चाहते हैं जो बातचीत में कुशल हों और जो उनकी देखभाल कर सकते हैं, अन्य लोग सक्षम, शक्तिशाली, आर्थिक रूप से सफल साथी को पसंद करते हैं, इत्यादि। जब हमारे साथी हमारी अपेक्षा पर खरे नहीं उतरते हैं, तो हम अपनी शिकायतों के बीच जीते हैं, उनके साथ ठंडा बर्ताव करते हैं, गुस्सा करते हैं, लड़ते हैं, यहाँ तक कि उन्हें तलाक भी दे देते हैं, जिससे कारण खुद को और अपने परिवारों को दर्द झेलना पड़ता है। कियानहुई को एहसास हुआ कि चूँकि वह परमेश्वर की निपुणता को नहीं समझती थी और उसका पालन नहीं करती थी, इसलिए उसे हमेशा लगता था कि उसका पति अक्षम है, इसलिए वो उसे नापसंद और अपमानित करती थी, जिससे वह दुख में जी रही थी, और अपने पति के सामने भी हर दिन अपनी उदास भावनाओं को ही दिखा रही थी। इस कारण उनका रिश्ता टूटता जा रहा था। कियानहुई इतनी पीड़ा से नहीं जीना चाहती थी, इसलिए उसने परमेश्वर के आयोजनों और व्यवस्थाओं को स्वीकार करने, उन्हें मानने की इच्छा व्यक्त करने के लिए, उनसे प्रार्थना की। यह भी व्यक्त करने के लिए उसने प्रार्थना की कि वो अब अपने जीवन से असंतुष्ट नहीं रहेगी, अपने पति की अक्षमता के बारे में शिकायत नहीं करेगी, और अपने पति के साथ शांति से, और खुशी से रहेगी।

    उसके बाद, कियानहुई का अपने पति के प्रति रवैया बेहतर हो गया। जब उसके जीवन में कुछ असंतोषजनक होता था, तो वह उतनी बेतुकी नहीं रह गयी थी जितना कि वह हुआ करती थी, वह अब अपने पति को नहीं सताती थी और उनसे शिकायत भी नहीं करती थी। इसके बजाय, वह मानती थी कि यह परमेश्वर की व्यवस्था है, और वह इसे मानने को तैयार थी, परमेश्वर को उसका नेतृत्व और मार्गदर्शन करने देने, और अपने पति के साथ सामंजस्य में रहना सीखने को तैयार थी। कियानहुई के पति ने उसमें परिवर्तन देखा, और उसके प्रति उसके पति के रवैये में भी सुधार हुआ।

    एक दिन, जब कियानहुई अपने माता-पिता के घर आई, तो उसके पड़ोसी ने उससे पूछा, “मैंने तुम्हें कुछ वर्षों से नहीं देखा। क्या तुम अभी भी उसी बंगले में रहती हो जहाँ अपनी शादी के वक्त रहती थी? तुमने अभी तक कोंडोमिनियम यूनिट खरीदा या नहीं?” कियानहुई के दिल को झटका लगा। वह शर्मिंदा महसूस कर रही थी, एक अनिच्छुक हंसी के साथ उसने कहा, “अभी तक नहीं।” पड़ोसी ने कहा, “इन दिनों सभी युवा लोग अपार्टमेंट में रहना चाहते हैं। वे स्वच्छ, आरामदायक और सुखद जो होते हैं।” कियानहुई ने अपने पड़ोसी की आँखों से बचते हुए बहाना बनाया, “मेरे ससुर के पैर ठीक नहीं हैं, इसलिए उनके लिए ऊपर जाना कठिन है। मुझे लगता है कि बंगले ठीक हैं। हो सकता है कि मैं भविष्य में अपार्टमेंट में घर खरीदूँ।” उसके पड़ोसी के चले जाने के बाद, कियानहुई अफसोस के साथ सोचे बिना न रह सकी, “मुझे कभी एक अपार्टमेंट में घर लेने के लिए पैसा कहाँ से मिलेगा?” अनजाने में, कियानहुई ने अपने पति को उसकी शर्मनाक अक्षमता के लिए दोषी ठहराना शुरू कर दिया। अपने दुख में, कियानहुई परमेश्वर के पास गयी और उसने प्रार्थना की, “परमेश्वर, हालांकि मुझे पता है कि मेरी शादी आप द्वारा पूर्वनिर्धारित की गयी थी, लेकिन जब मैं दूसरों को खुद से बेहतर जगह पर देखती हूँ, तो मेरे दिल में अभी भी शिकायतें जगतीं हैं, मुझे लगता है कि मेरे पति मुझे वो सुखी जीवन नहीं दे सकते जो मैं चाहती हूँ। मैं नहीं जानती कि इस दर्द से कैसे बचा जा सकता है, इसलिए कृपया मेरी अगुवाई और मार्गदर्शन करें।”

    एक दिन, कियानहुई ने “स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है VI” से ये वचन पढ़े: “क के बाद एक, ये सभी प्रवृत्तियाँ दुष्ट प्रभाव को लेकर चलती हैं जो निरन्तर मनुष्य को पतित करते रहते हैं, जिसके कारण वे लगातार विवेक, मानवता और कारण को गँवा देते हैं, और जो उनकी नैतिकता एवं उनके चरित्र की गुणवत्ता को और भी अधिक नीचे ले जाते हैं, उस हद तक कि हम यहाँ तक कह सकते हैं कि अब अधिकांश लोगों के पास कोई ईमानदारी नहीं है, कोई मानवता नहीं है, न ही उनके पास कोई विवेक है, और कोई तर्क तो बिलकुल भी नहीं है। तो ये प्रवृत्तियाँ क्या हैं? तुम नग्न आँखों से इन प्रवृत्तियों को नहीं देख सकते हो। जब किसी प्रवृत्ति की हवा आर-पार बहती है, तो कदाचित् सिर्फ छोटी सी संख्या में ही लोग प्रवृत्ति स्थापित करने वाले बनेंगे। वे इस किस्म की चीज़ों को करते हुए शुरुआत करते हैं, इस किस्म के विचार या इस किस्म के दृष्टिकोण को स्वीकार करते हैं। हालाँकि, अधिकांश लोग अपनी अनभिज्ञता के बीच इस किस्म की प्रवृत्ति के द्वारा अभी भी लगातार संक्रमित, सम्मिलित एवं आकर्षित होंगे, जब तक वे सब अनजाने में एवं अनिच्छा से इसे स्वीकार नहीं कर लेते हैं, और सभी इसमें डूब नहीं जाते हैं और इसके द्वारा नियन्त्रित नहीं कर लिए जाते हैं। ऐसे मनुष्यों के लिए जो स्वस्थ्य शरीर और मन के नहीं है, जो कभी नहीं जानते हैं कि सत्य क्या है, जो सकारात्मक एवं नकारात्मक चीज़ों के बीच अन्तर नहीं बता सकते हैं, इन किस्मों की प्रवृत्तियाँ एक के बाद एक उन सभी से स्वेच्छा से इन प्रवृत्तियों, जीवन के दृष्टिकोण एवं मूल्यों को स्वीकार करवाती हैं जो शैतान से आती हैं। जो कुछ शैतान उनसे कहता है वे उसे स्वीकार करते हैं कि किस प्रकार जीवन तक पहुँचना है और जीवन जीने के उस तरीके को स्वीकार करते हैं जो शैतान उन्हें “प्रदान” करता है। उनमें सामर्थ्य नहीं है, न ही उनमें योग्यता है, प्रतिरोध करने की जागरूकता तो बिलकुल भी नहीं है।” “इस तरीके से, मनुष्य और भी अधिक दुष्ट, अभिमानी, दूसरों को नीचा दिखाने वाला, स्वार्थी एवं दुर्भावनापूर्ण बन जाता है। लोगों के बीच अब और कोई स्नेह नहीं रह जाता है, परिवार के सदस्यों के बीच अब और कोई प्रेम नहीं रह जाता है, रिश्तेदारों एवं मित्रों के बीच में अब और कोई तालमेल नहीं रह जाता है; मानवीय रिश्ते हिंसा से भरे हुए हो जाते हैं।”

    परमेश्वर के वचनों से, कियानहुई समझ गयी कि सारा दुख इसलिए है क्योंकि मानवजाति शैतान के द्वारा दूषित कर दी गयी है और बुरी सांसारिक प्रवृत्तियों का अनुसरण करती है। इस दुष्ट समाज में, लोग बुरे विचारों से प्रभावित और उसमें डूबे होते हैं, जैसे कि “सबसे मुख्य पैसा है,” “पैसा सब कुछ नहीं है, लेकिन इसके बिना, आप कुछ नहीं कर सकते,” “लोग ऊपर की ओर जाने के लिए संघर्ष करते हैं, लेकिन पानी नीचे की ओर बहता है,” “एक पेड़ अपनी छाल के लिए जीता है, एक आदमी अपने चेहरे के लिए जीता है,” हर कोई धन और भौतिक आनंद की पूजा करता है, प्रसिद्ध ब्रांडों के कपड़े पहनने, महंगी महंगे व्यंजन खाने, विदेशी शैली के विला में रहने, लक्जरी कारों को चलाने, और सामाजिक सीढ़ी पर चढ़ने के लिए पूंजी हासिल करने की खातिर गुणात्मक जीवन जीने का प्रयास करता है और दिखावा करता है। जिसके पास भी पैसा है और वह सबसे ज्यादा सुख प्राप्त करता है, वह दूसरे लोगों ऊपर के स्थान पर होता है, उसके शब्दों में वजन होता है, और हर कोई उसकी प्रशंसा करता है और उसके साथ जुड़ने की कोशिश करता है, जबकि बिना प्रतिभा या कौशल के लोगों को दूसरों की तुलना में नीची नजरों से देखा जाता है। इन गलत और बेतुके विचारों में डूबे लोग अधिकाधिक सतही, घमंडी, स्वार्थी और लालची बन जाते हैं, वे पूरी तरह से अपनी मानवता, तर्क, और विवेक खो देते हैं, इस हद तक कि जब उनके जीवनसाथी के चयन का समय आता है, तो कुछ लोग ऐसे साथी की मांग करते हैं जो एक अच्छी पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं या बड़ी मात्रा में पैसा बनाने की क्षमता रखते हैं ताकि वे एक समृद्ध जीवन-शैली जी सकें जिससे दूसरे उनका सम्मान करें, साथ ही ऐसे बेतुके सिद्धांतों को बढ़ावा दे सकें जैसे कि “अमीर पतियों के पास सम्मानजनक पत्नियां होती हैं”, “बेहतर अध्ययन करने से तो बेहतर शादी करना अच्छा है,” ये शादी के विचार को पूरी तरह से तोड़-मरोड़ देता है। सच्चाई यह है कि शादी दो लोगों के लिए होती है जो ईमानदारी से एक दूसरे से प्यार करते हैं और एक परिवार की स्थापना के लिए समान इच्छा साझा करते हैं। बोझ और जिम्मेदारी उठाने, सम्मान, मदद, एक दूसरे से प्यार करने और एक खुशहाल जीवन को बनाए रखने के लिए दोनों साथियों की आवश्यकता है। लेकिन इन बुरी प्रवृत्तियों के प्रभाव के कारण, लोग शादी के लिए बहुत सी शर्तें जोड़ देते हैं, और पति-पत्नी के बीच का संबंध अशुद्ध और विनिमय और सौदेबाज़ी से भर जाता है। लोग उससे शादी करते हैं जिनके पास पैसा या शक्ति है, और यदि एक पक्ष दूसरे की भौतिक इच्छाओं या मिथ्याभिमान की मांगों को पूरा कर सकता है, तो विवाह को न चाहते हुए भी बनाए रखा जा सकता है, अन्यथा दोनों साथी एक-दूसरे से घृणा करेंगे और नुकसान पहुंचाएंगे, वे अलग भी हो सकते हैं। समाज में तलाक और पुनर्विवाह की दर बढ़ रही है, और पहले से ही अन्य महिला रखे हुए पुरुषों और अमीर प्रायोजक रखने वाली महिलाओं के बारे में सुनना आम बात है हैं। क्या यह सब लोगों के इस तरह के गलत विचारों और धारणाओं के अनुसार चलने के कारण नहीं है? जब उसे इस बात का अहसास हुआ, तो कियानहुई ने देखा कि वह भी इन बुरी प्रवृत्तियों से मोहित हुई थी और उसे इससे हानि भी हुई थी। अपने पुराने सहपाठी की शादी में जाने से पहले, उसके पति के साथ उसका जीवन स्थिर और शांत था, लेकिन जब उसने देखा कि उसके सभी दोस्तों के पास कार और कंडोमिनियम हैं, कि वे उससे ज्यादा अमीर हैं, तो उसे लगा कि वह उनसे कमतर है, कि वह उनके सामने अपना सिर नहीं उठा सकती थी। जब उसका पति उसकी इच्छाओं को पूरा नहीं कर सका, तो वह उसे नकारा और अक्षम समझने लगी और उसके प्रति हर दिन शिकायतें पालने लगी। कइससे न केवल उसने खुद को दुखी किया, बल्कि अपने पति को भी अंतहीन दर्द दिया। उनके रिश्तों में बहुत दरार पड़ गयी थी, और उनके घर ने पहले के सद्भाव और आराम को खो दिया था।

    कियानहुई अपने पति के साथ जैसा व्यवहार किया था उसके बारे में सोचा और उसे गहरा अफ़सोस हुआ, साथ ही उसने यह महसूस किया कि अपनी व्यर्थता को संतुष्ट करने के लिए उसने जो जीवन-शैली अपनाई थी, वह गलत थी, यह एक साधन था जिसका उपयोग शैतान उसे पीड़ित करने के लिए कर रहा था। अगर परमेश्वर के वचन से मिला मार्गदर्शन नहीं होता, तो कियानहुई हमेशा अपने दोस्तों से अपनी तुलना करती रहती और उनसे आगे न निकल पाने का दोषी अपने पति को ही ठहराती रहती, और इस तरह पीड़ा में जीती क्योंकि उसे शैतान द्वारा सताया जा रहा था, या उसे अपनी शादी टूटने का दर्द भी सहना पड़ सकता था। कियानहुई ने महसूस किया कि भले ही उसके कई दोस्तों की शादी, अमीर लोगों से हुई थी और वे एक शानदार जीवन का आनंद लेने में सक्षम थीं, लेकिन ये उज्ज्वल और सुंदर जीवन बस एक दिखावा था, और वास्तव में वे बिल्कुल भी खुश नहीं थीं। उनमें से कुछ के पतियों के विवाहेत्तर सम्बन्ध थे, वे अपनी पत्नियों को नज़रअंदाज़ करते हुए रंगरेलियां मना रहे थे, और उनके बारे में बिल्कुल परवाह नहीं करते थे। दूसरों की घर में कोई हैसियत और प्रतिष्ठा नहीं थी, और वे नौकरों के समान थीं जिनका अपने पति और उनके परिवार की नजरों में कोई सम्मान नहीं था। कुछ में पति असंगत व्यवहार और व्यक्तित्व के थे, उनके बीच कोई सच्ची भावना नहीं थी, वे अक्सर बहस करते थे, और लड़ते थे। और भी उदाहरण थे। उनका घमंड संतुष्ट था, लेकिन इसके पीछे अंतहीन कड़वाहट और लाचारी थी। क्या ऐसे जीवन को सुखद कहा जा सकता है? कियानहुई ने अपना सिर हिलाया। यह वह नहीं था जो वह चाहती थी। एक बार जब वह यह समझ गई, तो वह अपने दिल में बसे इन व्यर्थ बातों को जाने देने और अपने पति के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए तैयार थी।

    बाद में, कियानहुई ने परमेश्वर के वचनों का एक और अंश पढ़ा, “अपने आपको इस स्थिति से स्वतन्त्र करने का एक सबसे आसान तरीका हैः जीवन जीने के अपने पुराने तरीके को विदा करना, जीवन में अपने पुराने लक्ष्यों को अलविदा कहना, अपनी पुरानी जीवनशैली, फ़लसफ़े, खोजों, इच्छाओं एवं आदर्शों को सारांशित करना और उनका विश्लेषण करना, और उसके बाद मनुष्य के लिए परमेश्वर की इच्छा और माँग के साथ उनकी तुलना करना, और देखना कि उनमें से कोई परमेश्वर की इच्छा और माँग के अनुकूल है या नहीं, उनमें से कोई जीवन के सही मूल्य प्रदान करता है या नहीं, सत्य की महान समझ की ओर उसकी अगुवाई करता है या नहीं, और उसे मानवता और मनुष्य की सदृशता के साथ जीवन जीने देता है या नहीं। जब तुम जीवन के उन विभिन्न लक्ष्यों की जिनकी लोग खोज करते हैं और जीवन जीने के उनके अनेक अलग-अलग तरीकों की बार-बार जाँच-पड़ताल करोगे और सावधानीपूर्वक उनका विश्लेषण करोगे, तो तुम यह पाओगे कि इनमें से एक भी सृजनकर्ता के उस मूल इरादे के अनुरूप नहीं है जब उसने मानवजाति का सृजन किया था। उनमें से सभी लोगों को सृजनकर्ता की संप्रभुता और उसकी देखभाल से दूर करते हैं; ये सभी ऐसे गड्ढे हैं जिनमें मानवजाति गिरती है, और जो उन्हें नरक की ओर लेकर जाते हैं। तुम्हारे इसे पहचान जाने के पश्चात्, तुम्हारा कार्य है कि जीवन के अपने पुराने दृष्टिकोण को छोड़ दो, अनेक फंदों से दूर रहो, परमेश्वर को तुम्हारे जीवन का प्रभार लेने दो और तुम्हारे लिए व्यवस्था करने दो, केवल परमेश्वर के आयोजनों और मार्गदर्शन के प्रति समर्पण करने का प्रयास करो, कोई विकल्प मत रखो, और एक ऐसे इंसान बनो जो परमेश्वर की आराधना करता हो” (“स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III”)।

    परमेश्वर के वचनों को पढ़ने के बाद, कियानहुई जटिल भावनाओं से अभिभूत हो गयी, “अतीत में मैंने उन इच्छित लक्ष्यों के आधार पर जीवनशैली अपनाने की कोशिश कर रही थी, जो शैतान से प्रेरित थे, और यह बहुत दर्दनाक था। जब मेरे पास सत्य का अभाव था, तब केवल मैं शैतान द्वारा खेले जाने योग्य थी, और मैंने अपना जीवन व्यर्थ के प्रयासों में बर्बाद कर दिया था।” यह समझकर ही वो जाग पाई, उसने जीवन और मूल्यों पर अपने गलत विचारों को त्याग देने, और बुरी प्रवृत्तियों का पालन न करने और उच्च गुणवत्ता के भौतिक जीवन का अनुसरण न करने का फैसला किया। इसके बजाय, वह परमेश्वर के आयोजनों और व्यवस्थाओं का पालन करना, अपने पति के साथ उचित व्यवहार करना, और पर्याप्त भोजन और वस्त्र से संतुष्ट रहना चाहती थी। इन चीजों पर विचार करते हुए, कियानहुई ने सोचा कि भले ही उसके पति के पास ज्यादा पैसा नहीं था, वह उसे एक शानदार भौतिक जीवन नहीं दे सकता था, और उसके घमंड को संतुष्ट नहीं कर सकता था, लेकिन वह व्यावहारिक, विश्वसनीय और समझ पाने योग्य था। वह अच्छी तरह से चीजों पर विचार कर सकता था, और अपनी पत्नी के लिए भावनाएँ वास्तविक थीं। यहाँ तक कि जब कियानहुई ने अनुचित व्यवहार किया, तब भी उसके पति ने उसे सहन किया, उसकी बात मानी, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसके पति ने परमेश्वर में उसके विश्वास पर कोई आपत्ति नहीं की। एक बेहतर भौतिक जीवन की तुलना में, वह एक ऐसे व्यक्ति को पाकर सबसे खुश थी, जो उसकी परवाह कर सकता था, इसलिए कियानहुई को लगा कि परमेश्वर ने उसके लिए जिस विवाह की व्यवस्था की थी, वह सबसे अच्छा था। यदि उसने एक अमीर पति पाया होता, एक समृद्ध जीवन जीती होती, तो उसका जीवन शायद खाने, पीने और खेलकूद से भरा होता, और उसे परमेश्वर के सामने आने, सृष्टिकर्ता की वाणी सुनने, और इतने सारे सत्य के रहस्य को समझ पाने का अवसर नहीं मिलता, और न ही उसे इस बात की समझ मिलती कि कैसे शैतान या दुष्ट प्रवृत्तियां मानवजाति को कैसे भ्रष्ट करती हैं। कियानहुई ने अंत में समझ लिया कि कोई भी व्यक्ति कितना भी अमीर या गरीब क्यों न हो, लेकिन उसके पास परमेश्वर में विश्वास करने, परमेश्वर की आराधना करने, सत्य का अनुसरण करने के लिए उपयुक्त वातावरण का होना साथ ही परमेश्वर के प्रेम को चुकाने के लिए एक सृजित प्राणी कर्तव्यों को पूरा कर पाना ही सच्चा सुख पाने का एकमात्र तरीका है।

    एक बार जब वो इन बातों को समझ गयी, तो अपने पति के प्रति उसके रवैये में एक बड़ा बदलाव आया। उसे अब अपने पति की अक्षमता के बारे में कोई शिकायत नहीं थी, और उसमें उसके लिए बहुत अधिक परवाह और समझ थी। धीरे-धीरे, वह उसके साथ अधिक संवाद करने लगी। उसके परिवर्तन से उसके पति को खुशी हुई। वो हमेशा मुस्कान के साथ उसका अभिवादन करने लगा, और उनका घर बहुत अधिक सामंजस्यपूर्ण और आरामदायक हो गया। कियानहुई परमेश्वर के उद्धार और मार्गदर्शन के लिए उनकी बहुत आभारी थी। उसकी एकमात्र इच्छा अब अपने जीवन में परमेश्वर के वचनों के अनुसार अभ्यास करना, सत्य का अनुसरण करने के लिए अपनी सारी शक्ति के साथ प्रयास करना और अपने कर्तव्यों को पूरा करना था, क्योंकि यह जीवन का सबसे सही रास्ता है। परमेश्वर का धन्यवाद!

स्रोत:यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए

यह वेबसाइट, “यीशु मसीह का अनुसरण करते हुए” में यीशु मसीह को जानना, स्वर्ग के राज्य का रहस्य, प्रभु की वापसी, प्रार्थना, विवाह और परिवार जैसे खंड शामिल हैं जो आपकी आस्था की राह में आने वाली उलझनों में आपकी सहायता करते हैंI 

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प्रभु यीशु ने कहा, “आधी रात को धूम मची : ‘देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो।’ (मत्ती 25:6) प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी, “देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर

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